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शुक्रवार, 2 दिसंबर 2011

tanu thadani तनु थदानी चुनरी में दाग न लगे कभी

हे  ईश्वर { tanu thadani}

हे  ईश्वर  तेरी  दुनियां   को  ,
हमने  बदला  है  कुछ  ऐसा  !
रिश्तो  में  ना अब  आंच  रही ,
ना  प्यार  रहा  पहले  जैसा !!  

जूठा  है  तन - झूठा  है  मन ,
सिंदूर  से  सब छिप  जाता  है!
अब  नहीं समर्पण -भाव  रहा ,
कहने  को ही  बस  ब्याहाता  है !!

मंगल - सूत्रों  को  आड़  बना ,
भोली  सूरत  ही  छलती  है !
बच  कर  चलना  जीवन पथ  में 
धोखो  की  आंधी  चलती  है !!

हम  रहे  खोजते  बिस्तर में ,
कि  प्यार  कहाँ  से  आता है ?
तन  रहे  कहीं ,मन रहे  कहीं ,
फिर  भी बन  जाता  नाता है !!

खुद को  ही जो सम्मान न  दे,
हे  ईश्वर  ज्ञान  भरो   उसमे !
चुनरी में  दाग  न  लगे  कभी,
ऐसा  सम्मान  भरो  उसमे !!

मासूम  सा मन औ  भोलापन ,
ये  सुना-सुना  सा  है  जैसा -
हे  ईश्वर  जैसा  सुनते   थें , 
भर  दो हम  सबमे  कुछ  वैसा !!   




    

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