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गुरुवार, 1 दिसंबर 2011

tanu thadani तनु थदानी हे ईश्वर राह दिखाओ



जब   बाहों  में  गोरा  तन हो ,
उस तन मे इक काला मन हो ,
हे  ईश्वर   राह  दिखाओ  कि,
कैसे  उससे  अपनापन  हो ??

है    कलयुग    तो     निर्दोष ,
हमारे कपटों से बदनाम हुआ !
जला दी अस्मत हवस मे अपनी ,
तन   कपटों  कि  खान  हुआ !!

बस  चार  दीवारों  को ही जब ,
घर मान के जीना सीख लिया !
विष  भरे  होंठ अब सजनी के ,
साजन  ने  पीना सीख लिया !!

घर  भी  होंगें  -  बच्चे   होंगें ,
पर प्यार को सब ही तरसेगें ,
तन कि अग्नि में जो झुलसे ,
वो  नेह  को  कैसे  समझेगें ??

जीवन के घर में प्यार कि छत ,
हे   ईश्वर   सबके  सर   देना !
घर   छोटा   भी   हो रह  लेंगें ,
पर प्यार का तो इक आँगन हो !!  

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