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मंगलवार, 13 दिसंबर 2011

tanu thadani तनु थदानी अब की जनम जो देना ईश्वर

"हमें   बचा  लो "  ध्यान   न  देना,  ईश्वर  अब  इस  अर्जी  का !
हमने   दुनिया  काँट -  छांट  दी , काम  किया  बस  दर्जी   का !! 

बने    नमाजी  ,  सूफी   चाहे  ,  भजनों    के    सम्राट       बनें  ,
तुम   तो    समझ  रहे   ईश्वर  ये  ,  गोरख धंधा   फर्जी    का  !!

घर -  परिवार   फिर   गुरुद्वारे  , मंदिर    मस्जिद  बना   दिये ,
दिखे   नहीं  हे  ईश्वर  क्यूँ   कि ,  प्लाट  तो  था  खुदगर्जी  का  !!

ओम , वाहेगुरु  , अल्लाह- अल्लाह , कहते- कहते  सांस  गई ,
पलट  के  देखा  हे  ईश्वर ,  कुछ , किया  ना  तेरी  मर्जी   का  !! 

अब  कि  जनम  जो  देना  ईश्वर  ,दिल  देना  सिर  देना  मत  , 
धोखा - दहशत - राजनीति  तक ,सारा  खेल  है  इस  सिर  का !!




1 टिप्पणी:

  1. आपकी ईश्वर पर गजलें ,ईश्वर के रहस्य को ओर आसान करती हैं !ईश्वर का डर पैदा नहीं करती बल्कि ईश्वर को ओर अधिक स्पष्ट करती हैं !मधुशाला याद आती है या फिर गुरदास मान के सूफियाना गीत !ये अच्छी गजलें ,अच्छे पाठकों की उम्मीद रखती हैं !

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