लोकप्रिय पोस्ट

मंगलवार, 22 नवंबर 2011

बिटिया का वरदान चाहिये (tanu thadani)

बिटिया का वरदान चाहिये (tanu thadani)

सुन्दर-सुन्दर काया भीतर 
घृणा -भाव  भी पलता है!
बिना आग के हे ईश्वर 
अंतस कैसे जलता है ??


जिसको  खोज रहे वेदों मे,
बाइबल और कुरानो में ,
मक्का -काशी घूम के आये 
खोजे सूफी गानों में !


हे ईश्वर तुम  मिले नहीं क्यूँ ,
कैसी और अजान चाहिये ?
अगर मिलो शब्दों मे तब ही ,
गीता और कुरआन  चाहिये !


जीवन की परिभाषा हमने -
खुद ही ऐसी रच डाली !
उल्लू  बन कर चिपक गएँ 
हर पेड़ -पेड़ डाली -डाली !!


जीवन तूने दिया अनोखा ,
प्यार-प्यार फिर प्यार  मे धोखा !
कथा दुखो की अंतहीन सी -
नम आँखों ने जीवन सोखा !!


जग सारा मांगे धन - दौलत .
मुझको तेरा ध्यान चाहिये !
हे ईश्वर इक छावं सी मीठी -
बिटिया का वरदान चाहिये !! 





कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें