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सोमवार, 21 नवंबर 2011

हे अल्लाह {tanu thadani)

मेरे सिर-माथे पे अल्लाह ,फिर मस्जिद   क्यूँ  जाऊ मै ?
पांचो वक्त नमाज़ की गलियों ,क्यूँ दिल को भटकाऊ मै ??


खोज लिया  अजानो में औं ,पढ़  ली पूरी   ही   कुरआन,
मिला  मुझे  तू  मेरे  अंदर  ,सबको  ये    बतलाऊ     मै!


एक  ही ख्वाहिश हे अल्लाह कि, मुझको ऐसा शख्स बना ,
हिन्दू, मुस्लिम  बनु  ना  चाहे , मानव  तो  बन पाऊं मै !


अल्लाह जब  था  राम बना तू , राज किया मेरे दिल पर ,
अल्लाह अब जो कृष्ण बना तू,  तेरे  भीतर  आऊं    मै !


तुझको  तेरी  संतानों  ने , बाँध  दिया   कुछ  शब्दों  में ,
हिंदी - उर्दू   के  झगड़ो  से  , कैसे   मुक्त   कराऊं      मै?


ईसा के व्यवहार मे अल्लाह ,तू घुल कर भी दिख जाता ,
नानक  की  गुरुवाणी  मे  तू,  ये   कैसे  समझाउं     मै ?


सारी   दुनिया   हुई   पराई,  जब  से  तेरा  दोस्त  बना,
हे अल्लाह दे ख़ुशी तू इतनी ,अल्लाह-अल्लाह गाऊं मै !







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