लोकप्रिय पोस्ट

मंगलवार, 15 नवंबर 2011

tanu thadani तनु थदानी नफरत किसको दूं ?

मै किससे प्यार करुं  हे ईश्वर
नफरत किसको दूँ ?
सब प्यार मे घोले विष बैठे
मै  विष मे नेह घोलूं !!

पलकों पे जिसको भी रक्खो ,
वो चेहरे पे कालिख पोते !
वो हवस के बाग़ बगीचे थें ,
हम उसमे आखिर क्या बोते ?

हम उस दुनिया को कोस रहें
जो हमसे -तुमसे बनती है!
हम स्वांग रचे खुश रहने का ,
भीतर कडुवाहट  पलती है !

संकोच नहीं अब रत्ती भर ,
खुद को नीचे ले जाने में !
जज़्बात बिके ,विश्वास बिके ,
हम खडे  है खुद बिक जाने में !

परिवार के माने बिगड़  गए,
इज्जत की परिभाषा बदली !
सुख के सब साधन बदल गए
अब गर्ब की भी भाषा बदली !

मै गर्ब करूँ  तो भी  किस पर ?
किससे ये दिल खोलूं ?
हे ईश्वर नेह भरो इतना
बस विष मे नेह घोलूं !!


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें