मै किससे प्यार करुं हे ईश्वर
नफरत किसको दूँ ?
सब प्यार मे घोले विष बैठे
मै विष मे नेह घोलूं !!
पलकों पे जिसको भी रक्खो ,
वो चेहरे पे कालिख पोते !
वो हवस के बाग़ बगीचे थें ,
हम उसमे आखिर क्या बोते ?
हम उस दुनिया को कोस रहें
जो हमसे -तुमसे बनती है!
हम स्वांग रचे खुश रहने का ,
भीतर कडुवाहट पलती है !
संकोच नहीं अब रत्ती भर ,
खुद को नीचे ले जाने में !
जज़्बात बिके ,विश्वास बिके ,
हम खडे है खुद बिक जाने में !
परिवार के माने बिगड़ गए,
इज्जत की परिभाषा बदली !
सुख के सब साधन बदल गए
अब गर्ब की भी भाषा बदली !
मै गर्ब करूँ तो भी किस पर ?
किससे ये दिल खोलूं ?
हे ईश्वर नेह भरो इतना
बस विष मे नेह घोलूं !!
नफरत किसको दूँ ?
सब प्यार मे घोले विष बैठे
मै विष मे नेह घोलूं !!
पलकों पे जिसको भी रक्खो ,
वो चेहरे पे कालिख पोते !
वो हवस के बाग़ बगीचे थें ,
हम उसमे आखिर क्या बोते ?
हम उस दुनिया को कोस रहें
जो हमसे -तुमसे बनती है!
हम स्वांग रचे खुश रहने का ,
भीतर कडुवाहट पलती है !
संकोच नहीं अब रत्ती भर ,
खुद को नीचे ले जाने में !
जज़्बात बिके ,विश्वास बिके ,
हम खडे है खुद बिक जाने में !
परिवार के माने बिगड़ गए,
इज्जत की परिभाषा बदली !
सुख के सब साधन बदल गए
अब गर्ब की भी भाषा बदली !
मै गर्ब करूँ तो भी किस पर ?
किससे ये दिल खोलूं ?
हे ईश्वर नेह भरो इतना
बस विष मे नेह घोलूं !!
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