मैने तो उसको प्यार किया ,
बस प्यार किया औ लाड दिया ,
पर बाहों में आ उसी ने मेरे
पीठ पे चाक़ू मार दिया !!
ये प्यार की ही गहराई थी ,
मै उसी के बाहों झूल गया ,
वो कातिल मेरा जग -जाहिर ,
मै जान-बूझ कर भूल गया !!
बिस्तर की सिलवट बयाँ करे,
मेरी बेचेनी दर्द भरी !
इक-इक सिलवट बन गई शक्ल ,
जब-जब चादर को झाड दिया !!
मैने जीवन-घर की खिड़की ,
खोली थी की चिड़ियाँ आये ,
मेरी बाहों में खेल-खेल ,
मेरे हाथों दाना खायें !
जब कैदी हूँ अपने घर में ,
तो मेरी है पहचान कहाँ ?
चिड़ियाँ मेरे अंगना चहके ,
ऐसा मेरा सम्मान कहाँ ??
इक दो आशा की पंक्ति थी ,
जो लिखी थी दिल पे छिप-छिप कर,
पर दिल में रहने वाली ने ,
उन पन्नो को ही फाड़ दिया !!
बस प्यार किया औ लाड दिया ,
पर बाहों में आ उसी ने मेरे
पीठ पे चाक़ू मार दिया !!
ये प्यार की ही गहराई थी ,
मै उसी के बाहों झूल गया ,
वो कातिल मेरा जग -जाहिर ,
मै जान-बूझ कर भूल गया !!
बिस्तर की सिलवट बयाँ करे,
मेरी बेचेनी दर्द भरी !
इक-इक सिलवट बन गई शक्ल ,
जब-जब चादर को झाड दिया !!
मैने जीवन-घर की खिड़की ,
खोली थी की चिड़ियाँ आये ,
मेरी बाहों में खेल-खेल ,
मेरे हाथों दाना खायें !
जब कैदी हूँ अपने घर में ,
तो मेरी है पहचान कहाँ ?
चिड़ियाँ मेरे अंगना चहके ,
ऐसा मेरा सम्मान कहाँ ??
इक दो आशा की पंक्ति थी ,
जो लिखी थी दिल पे छिप-छिप कर,
पर दिल में रहने वाली ने ,
उन पन्नो को ही फाड़ दिया !!