हे ईश्वर ,
तुमने बदन दिया ,
फिर बल बुद्धि और आंखें दी !
तब ढाला तुमको मूरत में ;
मंदिर में रखा - सलाखें दी !!
हे ईश्वर,
तुमने सांसें दी ,
धड़कन दी - ख़ुशी से पाट दिया !
हम बे शर्मो ने तुमको ही -
ईश्वर-अल्लाह में बाँट दिया !!
ईश्वर,
हर ओर तुम्हीं तो हो ;
नदियों और पेड़ हवाओं में
तुम मेरे हो बस मेरे हो ;
हम लड़ जाते इन दावों में !!
ईश्वर;
मत आना धरती पर ;
ये धरती हमनें बाँट ली है !
डेरों पर किसी का कब्ज़ा है ;
मंदिर पर पंडो का कब्ज़ा ;
गुरुद्वारे किसी के हैं अधीन ;
मस्जिद पर मुल्लों का कब्ज़ा !!
आओगे तो पछताओगे;
पूछेगें कौन से धर्म से हो ?
गर जान गए तुम ईश्वर हो ;
फिर आपस में भिड़ जायेंगे !
गर गए एक के पास तो वो ;
शंखों को गर्व से फूंकेगा ;
गर छोड़ गए दूजे ही दिन ;
तुझे ख़ोज तुम्ही पे थूकेगा !!
ईश्वर;
अब की मानव रचना ;
तो शर्म के कपड़े दे देना !
हम अक्ल से अंधे आते हैं ;
फिर धर्म ओढ़ते पहले ही ;
तुमको नंगा कर जाते हैं !!
हम बेशेर्मो के कब्जे में ;
तेरी ये दुनियां सारी है !
धरती बेची -पर्वत बेचे ,
जंगल बेचे फिर हया बिकी ;
तेरी हर रचना बेच चुके ;
ईश्वर अब तेरी बारी है !!
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