हे ईश्वर तेरी दुनिया मैं ,
हर रिश्ते -नाते बिकते हैं !
हर घर पे है छत नफरत की ,
हर घर में दरवाजे छल के ,
घर के बाहर क्या अंदर भी ,
षडयंत्रो की हाला छलके !
हे ईश्वर सच तो यही ही की ,
जो बिकते हैं वो टिकते हैं !!
जो बिका नहीं वो व्यर्थ गया ,
हम सब दुःख-सुख में हैं नपते !
हम सब सदियो से छुरे लिये,
बस नाम ही तेरा हैं जपते !!
सब शक के पेड पे बैठ-बैठ ,
रिश्तो के फल को खाते हैं !
अपनी-अपनी ढपली ले कर ,
अपना ही राग सुनाते हैं!!
सूरज से ताप का रिश्ता हैं,
चंदा से ठंडक का रिश्ता !
सदियो से अटूट इन रिश्तो सा ,
हम में भी भर दो इक रिश्ता !!
हे ईश्वर धैर्य भरो हममें ,
हर पोर-पोर से दुख रिसता!
हर ओर ही घोर अँधेरा हैं ,
खुद के ही हाथ न दिखते हैं!!
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