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हर ओर द्वार है मृत्यु का ,
हर ओर द्वार है मृत्यु का ,
तुम भीतर डर के दुबके क्यों ?
इस पार द्वार के अपने हैं,
उस पार भी तो कुछ अपने हैं !
ये बदन नहीं ये कपडे हैं ,
हम बदल-बदल कर आते हैं !
जीवन के हर एक नाटक में,
अपना किरदार निभाते हैं !!
इस पार अगर है साथ कोई ,
उस पार भी तेरे पूर्वज हैं !
वो तेरे इन्तजार में हैं ,
चलो वापस ले कर आते हैं !!
जीवन जीने की युक्ति ये -
मत मानो कही भी मुक्ति है !
मृत्यु के पहले ,बाद में भी ,
हम अपनों के ही संग रहे !
जिसे बाबा-चाचा आज कहे ,
कल बेटा बन कर संग रहे !
हमे हर किरदार निभाना हैं ,
बस रूप बदल कर आना हैं !
हम आज सुरों के साथ हैं तो ,
कल तुमको गाना गाना हैं !!
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