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रविवार, 17 अप्रैल 2011

hey eshwar (tanu thadani)

भगवान्  को था मंज़ूर अगर ,
जाना था उनको दूर अगर ,
अफ़सोस ना कर ,न दुखी कर मन ,
काया उसकी उसको अर्पण!!

ईश्वर का खेल तमाशा है,
वो खेले घर-घर ,नगर-नगर!! 

लगता है गए ,वो गए नहीं ,
मत रो आंसू नहीं सस्ते है !
पहले वो आँख मे बसते थें ,
अब तो सीने मे बसते हैं !!

हमने  तुमने जो खोया है ,
हमने तुमने जो पाया है !
ना तेरा था ना मेरा था ,
वो सब ईश्वर की माया है!!

तुम बच्चो में  मुस्कान भरो
जो तुममे जीवन भर देगा ,
हर घर में सुख-दुःख हैं आते,
लो पूछ बयां हर घर देगा !!

जब सोओं पहुँचो ईश्वर तक .
जब जागो चल दो कर्म -डगर!!