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रविवार, 27 फ़रवरी 2011

क्या जीवन का था लक्ष्य यही?? hey eshwar (tanu thadani)




क्या जीवन का था लक्ष्य यही??
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सब हासिल  हो सब मिल जाए ; 
हर इक जीवन का लक्ष्य  यही!

चुन-चुन कर भरा किये घर को ,
पर्दों, सोफों ,सामानों से,
दिन-दिन भर प्रपंच किये ,
हम सन जाते अपमानो से!

घर भरते-भरते उम्र कटी ,
फिर जायदाद बेटों में बटी,
हमको भी मिला फिर इक कोना, 
जहाँ  खिड़की  थी और थें पर्दे ,
पर्दे के बाहर देखा जब ,
हर ओर ही था सूना-सूना !

अपरिचित थें वो व्यस्त मिले,
जो परिचित थे वो ध्वस्त मिले ,
अब दर्द ही था दूना-दूना,
हर पोर-पोर रिस-रिस पूछे ,
क्या जीवन का था लक्ष्य यही??







बुधवार, 23 फ़रवरी 2011

hey eshwar

दुखी हैं हम सब ,
खुद के कारण ,
खुद के कारण ,
आहत हैं!

करते सत्संग रामायण से ,
आदत से महाभारत हैं !!

पूरी बगिया दी तोर-फोर,
हर कार्य किये सृष्टी -नाशक ,
लकिन फिर भी हम जिन्दा हैं ,
प्यारे एश्वेर की चाहत हैं!!

हमने माना भोजन देता ,
ईश्वर ही सांझ -सवेरे हैं !
फिर भी सुबहो  से रात तलक ,
तेरे- मेरे के फेरे हैं!!

सारे के सारे संसाधन ,
पूरी ही तरह निचोर चुके,
हर इक रिश्तो से दुःख रिसते,
हम भावनाये तक छोड़ चुके!!

हम भूले हे ईश्वर तुमको,
तुम ना भूले ये राहत हैं!!






















गुरुवार, 3 फ़रवरी 2011

tanu thadani papa fir sey aana tum तनु थदानी पापा फिर से आना तुम

दिल के गाँव में  याद की खेती ,
पापा तुम तो खाद बन गए !
गए हो जब से हाथ छोड़ के ,
पापा तुम तो याद बन गए !!

अब भटकूँ  तो कौन हमें ,
घंटो बैठे समझायेगा !
दुनियां  घुप्प  अँधेरा, पापा ,
रस्ता कौन दिखायेगा ??

भीड़ - भीड़  बस भीड़  यहाँ पे,
तन्हा फिर भी खड़े  हैं हम ,
पापा जब से छोड़ गए हो ,
लगता है अब बड़े हैं  हम !!

बचपन मेरा साथ ले गये ,
उस बचपन को लाना तुम,
इन्तजार हम सभी को होगा ,
पापा फिर से आना तुम !!