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शुक्रवार, 23 दिसंबर 2011

tanu thadani तनु थदानी हे ईश्वर तुम क्यूँ न रोते


हे ईश्वर
तुम  क्यूँ  न रोते ?

हमने   तेरा   खेल   बिगाड़ा ,
जीवन   बहता   एक  समुन्दर  ,
लहर  सा  मन   पर  तन   है   खारा  !!


सपनो   वाली   सभी  मछलिया ,
तट  पे  आ  कर  तड़प   रहीं  है !
कौन  सी   दहशत   सागर   मे  है ,
लहर , लहर  से  झड़प  रही  है !!


इच्छा  की  छाया  में  देखो  ,
एक  केकड़ा  उलझ- उलझ  कर ,
लड़  के  खारे   पानी  से  जो ,
बाहर   आ  कर  मरा  बेचारा  !!


हे  ईश्वर
हम  क्यूँ  है  खोते  ?


कहाँ   से  आ  के  फंसे   जाल  में ?
रिश्ते- नाते  ओढ़   लोमड़ी  ,
मिल  जाती  गायों   की  खाल  में !
तुमको   खोजा     मिले   नहीं    तुम  ,
ढूध  सा  पूरा  जीवन   फाड़ा  !!


हे   ईश्वर
तुम  हमे   क्यूँ   बोते ??


इतनी   फसलें   काट  चुके   हो ,
धर्मो   के  कीड़ों   से  लथपथ ,
कितनी   फसलें  छांट  चुके  हो ??
बैल   हुम  ही  है , 
हम  ही  हल   भी,
हम  ही  जमीं  ,
हम  खुद  को  जोतें  !!

हे  ईश्वर
हम  क्यूँ  यूँ   होते  ?

नीचे   हम  रंगी   खिलौने ,
उपर  जा  बन  जाते   तारा !!  ........................


    

मंगलवार, 13 दिसंबर 2011

tanu thadani तनु थदानी अब की जनम जो देना ईश्वर

"हमें   बचा  लो "  ध्यान   न  देना,  ईश्वर  अब  इस  अर्जी  का !
हमने   दुनिया  काँट -  छांट  दी , काम  किया  बस  दर्जी   का !! 

बने    नमाजी  ,  सूफी   चाहे  ,  भजनों    के    सम्राट       बनें  ,
तुम   तो    समझ  रहे   ईश्वर  ये  ,  गोरख धंधा   फर्जी    का  !!

घर -  परिवार   फिर   गुरुद्वारे  , मंदिर    मस्जिद  बना   दिये ,
दिखे   नहीं  हे  ईश्वर  क्यूँ   कि ,  प्लाट  तो  था  खुदगर्जी  का  !!

ओम , वाहेगुरु  , अल्लाह- अल्लाह , कहते- कहते  सांस  गई ,
पलट  के  देखा  हे  ईश्वर ,  कुछ , किया  ना  तेरी  मर्जी   का  !! 

अब  कि  जनम  जो  देना  ईश्वर  ,दिल  देना  सिर  देना  मत  , 
धोखा - दहशत - राजनीति  तक ,सारा  खेल  है  इस  सिर  का !!




रविवार, 11 दिसंबर 2011

tanu thadani तनु थदानी बच्चे आखिर बच्चे हैं

धर्म  से  बंट गए , कर्म  से  बंट गए , मन  से  भी  बंट  जायेगें ! 
हम  लडने   वाली   बिल्ली ,  रोटी  ,  खा   भी   कैसे     पायेगें ?

उनके     बच्चे ,   मेरे   बच्चे  ,  बच्चे    आखिर    बच्चे      है , 
बड़ा   तो   होने  दो   ये   ही  ,  हिन्दू - मुस्लिम   बन   जायेगें !

अपने - अपने  दुःख  - दर्दों  का  , बोझा  ले  कर  फिरने  वाले ,
कभी   हमारे  ,  कभी   तुम्हारे  ,  घर - घर   में   ये     जायेगें !

कभी   ना   लेंगे   रत्ती   भर   भी  ,  चाहे   रिश्तेदार   ही    हों ,
अपनी   तकलीफों   के   टुकडें   ,  बेशक   छोड़   के    जायेगें  !

सांसें   लेना   ही   जीवन   है ,  तो   फिर   अगली  पीढ़ी   को  ,
मानव   औ  कुत्ते  -  बिल्ली  में  , फर्क   बता   क्या   पायेगें  ? 

लाड  बहन   सा , ममता  माँ  सी  , अगर   नहीं  है  पास  सखी ,
प्यारी  शक्ल   पे   नैन   तुम्हारे  , प्यार  से   ही  चुक  जायेगें  !   
   

शनिवार, 3 दिसंबर 2011

Tanu thadani तनु थदानी अपने अंदर में खुशी रखो



सारा जीवन इक कागज है

हम दुःख-सुख लिखते जाते हैं !

हम हैं  बच्चो के जैसे  जो,

कागज की नाव बनाते हैं !!


कुछ छूट गया ,कुछ पकड़ लिया,

सारा जीवन यूँ व्यर्थ गया !

जब शाम हुई ,तम देख-देख 

हम रोने क्यूँ लग जाते हैं!!


हर शाम का स्वागत किया करो,

ये शाम सुबह को लाती है!

इक-इक क्षण क्षण में जीवन है ,

जो बच्चो में मुस्काती है !!


जब दुःख आये ,सुख बाँट दो सब ,

तुमको भी सुख मिल जायेगा !

तेरे जैसा ही इक कोई ,

तुमको भी खुश कर जायेगा !!


जीवन को मानो मस्त हवा ,

मत बांधो रिश्ते -नातों में !

हर इक से रिश्ता रखो मगर ,

मत उलझो शह औं मातों में !!


हमने तुमने क्यूँ सुना नहीं ,

जो कान में आ  ईश्वर ने कहा ,

अपने अंदर में ख़ुशी रखो ,

और मुख से निकले हा!हा!!हा !!!
  

शुक्रवार, 2 दिसंबर 2011

tanu thadani तनु थदानी चुनरी में दाग न लगे कभी

हे  ईश्वर { tanu thadani}

हे  ईश्वर  तेरी  दुनियां   को  ,
हमने  बदला  है  कुछ  ऐसा  !
रिश्तो  में  ना अब  आंच  रही ,
ना  प्यार  रहा  पहले  जैसा !!  

जूठा  है  तन - झूठा  है  मन ,
सिंदूर  से  सब छिप  जाता  है!
अब  नहीं समर्पण -भाव  रहा ,
कहने  को ही  बस  ब्याहाता  है !!

मंगल - सूत्रों  को  आड़  बना ,
भोली  सूरत  ही  छलती  है !
बच  कर  चलना  जीवन पथ  में 
धोखो  की  आंधी  चलती  है !!

हम  रहे  खोजते  बिस्तर में ,
कि  प्यार  कहाँ  से  आता है ?
तन  रहे  कहीं ,मन रहे  कहीं ,
फिर  भी बन  जाता  नाता है !!

खुद को  ही जो सम्मान न  दे,
हे  ईश्वर  ज्ञान  भरो   उसमे !
चुनरी में  दाग  न  लगे  कभी,
ऐसा  सम्मान  भरो  उसमे !!

मासूम  सा मन औ  भोलापन ,
ये  सुना-सुना  सा  है  जैसा -
हे  ईश्वर  जैसा  सुनते   थें , 
भर  दो हम  सबमे  कुछ  वैसा !!   




    

गुरुवार, 1 दिसंबर 2011

tanu thadani तनु थदानी हे ईश्वर राह दिखाओ



जब   बाहों  में  गोरा  तन हो ,
उस तन मे इक काला मन हो ,
हे  ईश्वर   राह  दिखाओ  कि,
कैसे  उससे  अपनापन  हो ??

है    कलयुग    तो     निर्दोष ,
हमारे कपटों से बदनाम हुआ !
जला दी अस्मत हवस मे अपनी ,
तन   कपटों  कि  खान  हुआ !!

बस  चार  दीवारों  को ही जब ,
घर मान के जीना सीख लिया !
विष  भरे  होंठ अब सजनी के ,
साजन  ने  पीना सीख लिया !!

घर  भी  होंगें  -  बच्चे   होंगें ,
पर प्यार को सब ही तरसेगें ,
तन कि अग्नि में जो झुलसे ,
वो  नेह  को  कैसे  समझेगें ??

जीवन के घर में प्यार कि छत ,
हे   ईश्वर   सबके  सर   देना !
घर   छोटा   भी   हो रह  लेंगें ,
पर प्यार का तो इक आँगन हो !!  

बुधवार, 30 नवंबर 2011

चिड़ियाँ मेरे अंगना चहके { tanu thadani }

मैने तो उसको प्यार किया ,
बस प्यार किया औ  लाड दिया ,
पर बाहों में आ उसी ने मेरे 
पीठ पे चाक़ू मार दिया !!


ये प्यार की ही गहराई थी ,
मै उसी के बाहों झूल गया ,
वो कातिल मेरा जग -जाहिर ,
मै जान-बूझ  कर भूल गया !!


बिस्तर की सिलवट बयाँ करे,
मेरी  बेचेनी दर्द भरी !
इक-इक सिलवट बन गई शक्ल ,
जब-जब चादर को झाड दिया !!


मैने जीवन-घर  की खिड़की ,
खोली थी की चिड़ियाँ आये ,
मेरी बाहों में खेल-खेल ,
मेरे हाथों दाना खायें !


जब कैदी  हूँ अपने घर में ,
तो मेरी है पहचान कहाँ ?
चिड़ियाँ मेरे अंगना चहके ,
ऐसा मेरा सम्मान कहाँ ??


इक दो आशा की पंक्ति थी ,
जो लिखी थी दिल पे छिप-छिप कर,
पर दिल में रहने वाली ने ,
उन पन्नो को ही फाड़ दिया !!  




मंगलवार, 22 नवंबर 2011

बिटिया का वरदान चाहिये (tanu thadani)

बिटिया का वरदान चाहिये (tanu thadani)

सुन्दर-सुन्दर काया भीतर 
घृणा -भाव  भी पलता है!
बिना आग के हे ईश्वर 
अंतस कैसे जलता है ??


जिसको  खोज रहे वेदों मे,
बाइबल और कुरानो में ,
मक्का -काशी घूम के आये 
खोजे सूफी गानों में !


हे ईश्वर तुम  मिले नहीं क्यूँ ,
कैसी और अजान चाहिये ?
अगर मिलो शब्दों मे तब ही ,
गीता और कुरआन  चाहिये !


जीवन की परिभाषा हमने -
खुद ही ऐसी रच डाली !
उल्लू  बन कर चिपक गएँ 
हर पेड़ -पेड़ डाली -डाली !!


जीवन तूने दिया अनोखा ,
प्यार-प्यार फिर प्यार  मे धोखा !
कथा दुखो की अंतहीन सी -
नम आँखों ने जीवन सोखा !!


जग सारा मांगे धन - दौलत .
मुझको तेरा ध्यान चाहिये !
हे ईश्वर इक छावं सी मीठी -
बिटिया का वरदान चाहिये !! 





सोमवार, 21 नवंबर 2011

हे अल्लाह {tanu thadani)

मेरे सिर-माथे पे अल्लाह ,फिर मस्जिद   क्यूँ  जाऊ मै ?
पांचो वक्त नमाज़ की गलियों ,क्यूँ दिल को भटकाऊ मै ??


खोज लिया  अजानो में औं ,पढ़  ली पूरी   ही   कुरआन,
मिला  मुझे  तू  मेरे  अंदर  ,सबको  ये    बतलाऊ     मै!


एक  ही ख्वाहिश हे अल्लाह कि, मुझको ऐसा शख्स बना ,
हिन्दू, मुस्लिम  बनु  ना  चाहे , मानव  तो  बन पाऊं मै !


अल्लाह जब  था  राम बना तू , राज किया मेरे दिल पर ,
अल्लाह अब जो कृष्ण बना तू,  तेरे  भीतर  आऊं    मै !


तुझको  तेरी  संतानों  ने , बाँध  दिया   कुछ  शब्दों  में ,
हिंदी - उर्दू   के  झगड़ो  से  , कैसे   मुक्त   कराऊं      मै?


ईसा के व्यवहार मे अल्लाह ,तू घुल कर भी दिख जाता ,
नानक  की  गुरुवाणी  मे  तू,  ये   कैसे  समझाउं     मै ?


सारी   दुनिया   हुई   पराई,  जब  से  तेरा  दोस्त  बना,
हे अल्लाह दे ख़ुशी तू इतनी ,अल्लाह-अल्लाह गाऊं मै !







शुक्रवार, 18 नवंबर 2011

tanu thadani तनु थदानी आदमी नस्ल के बच्चे कहाँ से लायेगे

बात निकलेगी तो आँखों मे आंसू  आयेगे,
हम लड़  बैठेगें,
फिर बाद में पछ्तायेंगे !

नीचा करने की तमन्ना में ,
एक दूसरे को ,
क्या ,
खुद ही  की नजरो में ना गिर जायेगे!!

जाये ना मसजिदों में हम तौबा करने ,
ना मंदिरों मे जा के हम माफ़ी मांगे !
कायदा ये हो कि,हर भूल से हम यूँ  निपटे ,
गले मिले,
मगर,जिद कि भी दीवार लांघे!!

हमारी सोच अच्छी है कि बुरी ,सोच लो तुम ,
हमारी सोच फिर से लौट -लौट आएगी !
हमारी फूल सी मासूम नई पीढ़ी में ,
हमारी सोच ही सोचो  तो नज़र आएगी!!

कहानी नफरतो वाली ही सुनाते जो रहें ,
हमारे बच्चो में मुस्कान कहाँ पायेगें ?
जो हम हिन्दू-मुसलमान ही पैदा करें तो ,
आदमी नस्ल के बच्चे कहाँ से लायेंगे ?? 








tanu thadani तनु थदानी ईश्वर अब तेरी बारी है

हे  ईश्वर ,
तुमने बदन दिया ,
फिर बल बुद्धि और आंखें  दी !
तब ढाला तुमको मूरत में ;
मंदिर में रखा - सलाखें  दी !!

हे ईश्वर,
तुमने सांसें दी ,
धड़कन  दी - ख़ुशी से पाट दिया !
हम बे शर्मो ने तुमको ही -
ईश्वर-अल्लाह  में बाँट दिया !!

ईश्वर,
हर ओर तुम्हीं तो हो ;
नदियों और पेड़  हवाओं में 
तुम मेरे हो बस मेरे हो ;
हम लड़  जाते इन दावों  में !! 

ईश्वर;
मत आना धरती पर ;
ये धरती हमनें बाँट ली है !
डेरों पर किसी का कब्ज़ा है ;
मंदिर पर पंडो का कब्ज़ा ;
गुरुद्वारे किसी के  हैं  अधीन ;
मस्जिद पर मुल्लों का कब्ज़ा !!

आओगे तो पछताओगे;
पूछेगें कौन से धर्म से हो ?
गर जान गए तुम ईश्वर हो ;
फिर आपस में भिड़ जायेंगे !

गर गए एक के पास तो वो ;
शंखों को गर्व से  फूंकेगा ;
गर  छोड़  गए  दूजे  ही  दिन ;
तुझे ख़ोज तुम्ही पे थूकेगा !!

ईश्वर;
अब की मानव रचना ;
तो शर्म के कपड़े  दे देना !
हम अक्ल से अंधे आते हैं ;
फिर धर्म ओढ़ते पहले ही ;
तुमको नंगा कर जाते हैं !!

हम बेशेर्मो के कब्जे में ;
तेरी ये दुनियां सारी है !
धरती बेची -पर्वत बेचे ,
जंगल बेचे फिर हया बिकी ;
तेरी हर रचना बेच चुके ;
ईश्वर अब तेरी बारी है !!
















  

मंगलवार, 15 नवंबर 2011

tanu thadani तनु थदानी सोया नहीं हूँ माँ मैं तब से

तू जो गले लगाए रोऊँ , आंसू रोक के बैठा कब से !

माँ तुमसे जो जुदा हुआ हूँ ,सोया नहीं हूँ माँ मै तब से !!




रंग - बिरंगी घात लगाए , दुनिया सारी घूर रही है !

तेरी श्वेत -श्याम आँखों से, दूर हुआ हूँ माँ मै जब से !!




छल की धूप से झुलस गया है ,तेरे जिगर का टुकड़ा ये माँ ,

जल ना जाऊ कही यहाँ मै ,आ के मुझको बचा लो सब से !!




पूजा करना भूल गया मै , मंदिर जाना छोड़ दिया है ,

तुझे याद जब-जब करता हूँ ,मिल जाता हूँ तब-तब रब से !!

tanu thadani तनु थदानी नफरत किसको दूं ?

मै किससे प्यार करुं  हे ईश्वर
नफरत किसको दूँ ?
सब प्यार मे घोले विष बैठे
मै  विष मे नेह घोलूं !!

पलकों पे जिसको भी रक्खो ,
वो चेहरे पे कालिख पोते !
वो हवस के बाग़ बगीचे थें ,
हम उसमे आखिर क्या बोते ?

हम उस दुनिया को कोस रहें
जो हमसे -तुमसे बनती है!
हम स्वांग रचे खुश रहने का ,
भीतर कडुवाहट  पलती है !

संकोच नहीं अब रत्ती भर ,
खुद को नीचे ले जाने में !
जज़्बात बिके ,विश्वास बिके ,
हम खडे  है खुद बिक जाने में !

परिवार के माने बिगड़  गए,
इज्जत की परिभाषा बदली !
सुख के सब साधन बदल गए
अब गर्ब की भी भाषा बदली !

मै गर्ब करूँ  तो भी  किस पर ?
किससे ये दिल खोलूं ?
हे ईश्वर नेह भरो इतना
बस विष मे नेह घोलूं !!


बुधवार, 2 नवंबर 2011

tanu thadani तनु थदानी पापा का बचपन लाऊं मैं

कैसे करूँ यकीं ,कि पापा ,
सच ही कहा ये करते थें !
उनके बचपन में  दुनियाँ  में ,
लोग सुहाने रहते थें !

लोग सुहाने रहते थें ,
मेरे पापा  कहते थें -
दूजे का गम बिना स्वार्थ के ,
ख़ुशी-ख़ुशी जो सहते थें !

उन्हे यकीं था ,
फिर से दुनिया ,
 वैसी ही हो जाएगी ;
नहीं पता था ,
मेरे बचपन तक कड़वी  हो जायगी !

खून के रिश्ते होंगें ऐसे,
नाग-नेवले रहते जैसे!
खुशियों के शो रूम खुलेंगे ;
नहीं मिलेगीं जो बिन पैसे !!

मेरी  भरी जवानी मे जब ;
पापा मुझको छोड़  गए !
जाते-जाते मेरे अन्दर ;
इक आशा भी जोड़  गए!
कि मुझको मेरे बच्चो को ;
वो बचपन दिखलाना है ;
जिसमे रंजिश नहीं कहीं ;
खुशियों का ताना-बाना है !

कहां के लाऊ लोग सुहाने ?
खुशियों के वो ताने-बाने ;
हे ईश्वर;
कुछ एसा कर दो -
सबको ही तुम अच्छा कर दो !
नहीं सको पूरी दुनिया तो;
मुझको ही तुम सच्चा कर दो!!

मै जो अच्छा रहा तो दुनिया ;
अच्छी  नजर ही आएगी !
मुझमे सच होगा तो दुनिया ;
सच्ची नजर ही आयेगी !!

हे ईश्वर;
दो वर ऐसा कि 
कुछ ऐसा कर  जाऊं  मै;
ज्यादा नहीं तो कम से कम 
पापा का बचपन लाऊं मै !!  





















!        


गुरुवार, 20 अक्तूबर 2011

tanu thadani: hey eshwar (tanu thadani)

आंखें तो सलामत हैं 
मगर चश्मा है ये कैसा ?
कभी नाचे है पैसे को ,
कभी नचाय ये पैसा !!

यही दुनिया का है मेला ;
यहाँ बेटो के संग झूले !
कि भांजा साथ था फिर भी ,
ना जाने कैसे हम भूले ??

हमे तो इस तरह अपनी ही खुदगर्जी ने लूटा!
बीबी आते ही बहनों का हमसे हाथ भी छूटा!!

सभी मिलते है अब हम तो ,
उसी बचपन के फोटो में ,
उसी मे छोटी बहना देख ,
बिटिया याद आती है,
कोई तो दुःख है बहना को ;
ना चित्ठी है ना पाती है !!

सभी हम अपने जिद के कमरों मे ही ,
बंद है रहते !
कि जब भी फोन पे मिलते है
केवल अपने दुःख कहते !!

हमीं ने गलतियो के शहर में ;
घर अपने बनाय!
हमीं ने दिल के खेतों में ;
जहर के पेड़ लगाए!!
हमीं जब अपनी करतूतों से
जब-जब तंग है होते ;
हमीं भगवान् से पूछे -
हमें बनाया क्यों एसा ??

hey eshwar (tanu thadani)

आंखें तो सलामत हैं 
मगर चश्मा है ये कैसा ?
कभी  नाचे हैं पैसे को ,
कभी नचाय ये पैसा !!

यही दुनिया का है मेला ;
यहाँ बेटो के संग झूले !
कि भांजा साथ था फिर भी ,
ना जाने कैसे हम भूले ??

हमे तो इस तरह अपनी ही खुदगर्जी ने लूटा!
बीबी आते ही बहनों का हमसे हाथ भी छूटा!!

सभी मिलते है अब हम तो , 
उसी बचपन के फोटो में ,
उसी मे छोटी बहना देख ,
बिटिया याद आती है,
कोई तो दुःख है बहना  को ;
ना चित्ठी है ना पाती है !!

सभी हम अपने जिद के कमरों मे ही ,
बंद है रहते !
कि जब भी फोन पे मिलते है 
केवल अपने दुःख कहते !!

हमीं ने गलतियो के शहर में ;
घर अपने बनाय!
हमीं  ने दिल के खेतों में ;
जहर के पेड़  लगाए!!
हमीं जब अपनी करतूतों से 
जब-जब तंग है होते ;
हमीं भगवान् से पूछे -
हमें बनाया क्यों एसा ?? 




     











शुक्रवार, 14 अक्तूबर 2011

hey eshwar (tanu thadani)

बात निकलेगी तो आँखों मे आंसू  आयेगे,
हम लड़  बेठेगें,
फिर बाद में पछ्तायेगे !

नीचा करने की तमन्ना मे ,
एक दूसरे को ,
क्या ,
खुद ही  की नजरो में ना गिर जायेगे!!

जायं ना मस्जिदों  मे हम तौबा करने ,
ना मंदिरों मे जा के हम माफ़ी मांगे !
कायदा ये हो कि,हर भूल से हम यूँ  निपटे ,
गले मिले.
मगर,जिद कि भी दीवार लांघे!!

हमारी सोच अच्छी है कि बुरी ,सोच लो तुम ,
हमारी सोच फिर से लौट -लौट आएगी !
हमारी फूल सी मासूम नई पीढ़ी में ,
हमारी सोच ही सोचो  तो नज़र आएगी!!

कहानी नफरतो वाली ही सुनाते जो रहें ,
हमारे बच्चो में मुस्कान कहाँ पायेगें ?
जो हम हिन्दू-मुसलमान ही पैदा करें तो ,
आदमी नस्ल के बच्चे कहाँ से लायेंगे ?? 








बुधवार, 12 अक्तूबर 2011

hey eshwar (tanu thadani)



hey eshawar  {tanu thadani} {तनु थदानी }

सारा जीवन इक कागज है

हम दुःख-सुख लिखते जाते हैं !

हम हैं बच्चो के जैसे जो,

कागज की नाव बनाते हैं !!

कुछ छूट गया ,कुछ पकड़ लिया,

सारा जीवन यूँ व्यर्थ गया !

जब शाम हुई ,तम देख-देख

हम रोने क्यूँ लग जाते हैं!!

हर शाम का स्वागत किया करो,

ये शाम सुबह को लाती है!

इक-इक क्षण -क्षण में जीवन है ,

जो बच्चो में मुस्काती है !!

जब दुःख आये ,सुख बाँट दो सब ,

तुमको भी सुख मिल जायेगा !

तेरे जैसा ही इक कोई ,

तुमको भी खुश कर जायेगा !!

जीवन को मानो मस्त हवा ,

मत बांधो रिश्ते -नातों में !

हर इक से रिश्ता रखो मगर ,

मत उलझो शह औं मातों में !!

हमने तुमने क्यूँ सुना नहीं ,

जो कान में ईश्वर ने कहा ,

अपने अंदर में ख़ुशी रखो ,

और मुख से निकले हा!हा!!हा !!!

रविवार, 9 अक्तूबर 2011

hey eshwar (tanu thadani)

सबसे प्यारी हँसी है वो ,
जो बच्चो की किलकारी है !
हे ईश्वर तू हर रचना में ,
रमता-बसता जारी है!!

तुने कोयल कूक बनाई,
हमने एटॉम-बम !
तुने आँख बनाई हँसती,
हमने कर दी नम !!

तूने रिश्ते दिए मगर,
हमने ही मोल नहीं जाना !
ईश्वर! खून के रिश्ते को ,
हम मानव ने बंधन माना!!

दी तूने मीठी जुबान ,
हमने ही कर दी आरी है!!

हम वजह ढूढते पहले है ,
खुश होते उसके बाद मे हें!
बे-वजह अगर मुस्काय तो ,
सब कहते है बीमारी है !!

हे ईश्वर ,हमे ना बरा करो ,
या बचपन को लंबा कर दो !
बचपन का हाथ छूटते ही ,
हम बन जाते ब्यापारी हें !!



शुक्रवार, 7 अक्तूबर 2011

hey eshwar (tanu thadani)

हे ईश्वर मत कर प्यार हमे ,
किस मकसद से भेजा हमको 
हमने ये क्या-क्या कर डाला ,
दिमाग बेच कपडे  पहने ,
फिर शर्म बेच खाना खाया !
शरीर को बिक्री कर-कर के ,
ज़मीर भी बिक्री कर डाला !!

हे ईश्वर हम इंसानों ने ,
नफरत बोई -नफरत काटी!
ले ले तेरा नाम सभी ने ,
आपस मे धरती बांटी !!

कुछ मंदिर वालो ने हडपा  ,
कुछ मस्जिद वाले हडप गए !
गिरजा ने हडपी  कुछ माटी,
हम आपस मे ही झड़प  गये !!

हे  ईश्वर तेरी बगिया में ,
हम किस्म -किस्म के कांटे हें !
हमने तुमको भी बाँट दिया ,
ज्यों इस धरती को बांटे हें !!

तुम बुत मे ही अच्छे लगते ,
कुछ नाम से अच्छा पाते हें!
हम हिन्दू हो या हो मुस्लिम ,
हम बेच आस्था खाते है  !!

कागज़ के टुकडे  छाप लिए ,
उसको ही ईश्वर है माना ,
हे ईश्वर अपनी धरती पर ,
तुम मत आना ,तुम मत आना!!




मंगलवार, 19 जुलाई 2011

hey eshwar (tanu thadani)


hey eshwar

घर की लक्ष्मी -जीवन संगी ,
ये सब उपमाएँ कथा हुई !
दिल दिल से मिलते ही नहीं ,
बस देह मिलन की प्रथा हुई !


नारी को साफ़ नदी माना ,
नारी को था देवी माना ,
नारी अब लांघ दीवारों को ,
बाज़ार में आ कर खड़ी  हुई !


आजादी की ये हवा चली ,
हम शर्मो से आजाद हुए!
बीबी शौहर से दगा करे ,
चुनरी -आँचल बर्बाद हुए !


अब जीवन शैली बदल गई ,
हम देह-सुखो से नपते  हैं !
किस- किस के आंसू पोछेगे,
घर- घर में ही ये व्यथा हुई !


जो छनिक सुखो के खातिर नारी ,
हया बेचती फिरती है !
वो रोज सुबह जब उठती है ,
अपनी नजरो में गिरती है !


हे ईश्वर घर की लक्ष्मी में ,
संतोष भरो -सम्मान भरो !
भौतिकता को जीवन माना ,
बस यही हमारी खता हुई !

हे ईश्वर {तनु थदानी }


tanuthadani@ymail.com
हर ओर द्वार है मृत्यु का ,
तुम भीतर डर के दुबके क्यों ?

इस  पार द्वार के अपने हैं,
उस पार भी तो कुछ अपने हैं !
ये बदन नहीं ये कपडे  हैं ,
हम बदल-बदल कर आते हैं !
जीवन के हर एक नाटक में,
अपना किरदार निभाते हैं !!

 इस पार अगर है साथ कोई ,
उस पार भी तेरे पूर्वज  हैं !
वो तेरे इन्तजार में हैं ,
चलो वापस ले कर आते हैं !!

जीवन जीने की युक्ति ये -
मत मानो कही भी मुक्ति है !
मृत्यु के पहले ,बाद में भी ,
हम अपनों के ही संग रहे !
जिसे  बाबा-चाचा आज कहे ,
कल बेटा बन कर संग रहे !

हमे हर किरदार निभाना हैं ,
बस रूप बदल कर आना हैं !
हम  आज सुरों के साथ हैं तो ,
कल तुमको गाना गाना हैं !! 
  

hey eshwar (tanu thadani)


सारा जीवन इक कागज है,
हम दुःख-सुख लिखते जाते हैं !
हम हैं  बच्चो के जैसे  जो,
कागज की नाव बनाते हैं !!

कुछ छूट गया ,कुछ पकड़ लिया,
सारा जीवन यूँ व्यर्थ गया !
जब शाम हुई ,तम देख-देख .
हम रोने क्यूँ लग जाते हैं!!

हर शाम का स्वागत किया करो,
ये शाम सुबह को लाती है!
इक-इक छण-छण में जीवन है ,
जो बच्चो में मुस्काती है !!

जब दुःख आये ,सुख बाँट दो सब ,
तुमको भी सुख मिल जायेगा !
तेरे जैसा ही इक कोई ,
तुमको भी खुश कर जायेगा !!

जीवन को मानो मस्त हवा ,
मत बांधो रिश्ते -नातों में !
हर इक से रिश्ता रखो मगर ,
मत उलझो शह औं मातों में !!

हमने तुमने क्यूँ सुना नहीं ,
जो कान में ईश्वर ने कहा ,
अपने अंदर में ख़ुशी रखो ,
और मुख से निकले हा!हा!!हा !!! 

tanu thadani: hey eshwar (tanu thadani)

tanu thadani: hey eshwar (tanu thadani): "हे ईश्वर तेरी दुनिया मैं , हर रिश्ते -नाते बिकते हैं ! हर घर पे है छत नफरत की , हर घर में दरवाजे छल के , घर के बाहर क्या अंदर भी..."

hey eshwar (tanu thadani)


हे ईश्वर तेरी दुनिया मैं ,
हर रिश्ते -नाते बिकते हैं !

हर घर पे है छत नफरत की ,
हर घर में दरवाजे छल के ,
घर के बाहर क्या अंदर भी ,
षडयंत्रो की हाला छलके !

हे ईश्वर सच तो यही ही की ,
जो बिकते हैं वो टिकते हैं !!

जो बिका नहीं वो व्यर्थ गया ,
हम सब दुःख-सुख में हैं नपते !
हम सब सदियो से छुरे लिये,
बस नाम ही तेरा हैं  जपते !!

सब शक के पेड पे बैठ-बैठ ,
रिश्तो के फल को खाते हैं !
अपनी-अपनी ढपली ले कर ,
अपना ही राग सुनाते हैं!!


सूरज से ताप का रिश्ता हैं,
चंदा से ठंडक  का रिश्ता !
सदियो से अटूट इन रिश्तो सा ,
हम में भी भर दो इक रिश्ता !!

हे ईश्वर धैर्य भरो हममें ,
हर पोर-पोर से दुख रिसता!
हर ओर ही घोर अँधेरा हैं ,
खुद के ही हाथ न दिखते हैं!!








hey eshwar (tanu thadani)


hey eshwar

उस सपने को जिन्दा रखना ,
जिसमे हम ख़ुशी से नाच रहें !
उस सपनो  में जिन्दा रहना,
आपस में दुख -सुख बांच रहें !

कुछ मिल जाये मत खुश होना ,
कुछ छुटे तो भी मत रोना  !
जितना जागो खुशियाँ बांटो ,
जब सोओं खुश हो कर सोना !

हम कार्य करें अपने-अपनें ,
ना जाएँ मालाएं जपने !
हर दिशा में है ईश्वर बसता,
मंदिर-मस्जिद को मत ढोना!!

लालच के पर्वत चढ़ बैठे,
फिर खुद को ठंडा कर बैठे ,
हम अकर ना जाए हे ईश्वर ,
रिश्तों में बसती आंच रहे!!

मंगलवार, 12 जुलाई 2011

hey eshwar (tanu thadani)


जब शर्म बेच दी सपनो ने
सच तब से ही शर्मिंदा है !

भाई के गर्दन पे भाई ,
खातिर पैसों के जा चढ़ता ,
कुछ छणिक सुखों के खातिर ही ,
मानव ये क्या-क्या ना करता !

सपने हें ऊँचे बनने के ,
सपने हें तन के चलने के ,
सपने ही सपने जीवन के ,
सोने-चांदी मे पलने के !

सब दो पल की ही खुशियाँ हें ,
सब दो पल के ही  सपने हें,
हम दो पल के इस नाटक में  ,
अभिनेता हें सो ज़िंदा हें !!

दो पल के सपनो के खातिर ,
हम लरें ही क्यूँ ?
हम मरें ही क्यूँ ??
क्यूँ सपनो के ही खातिर हम ,
अपने भाई का क़त्ल करें ,
हम लूट करें -हम पाप करें ,
अछम्य बना दें अपने को ?

हें कौन विवशता की हम सब ,
बे- शर्म सपन के शहर बसें ?
सचमुच ये सच शर्मिन्दा हे ,
कि क्यूँ कर हम भी जिन्दा हें ??    

रविवार, 17 अप्रैल 2011

hey eshwar (tanu thadani)

भगवान्  को था मंज़ूर अगर ,
जाना था उनको दूर अगर ,
अफ़सोस ना कर ,न दुखी कर मन ,
काया उसकी उसको अर्पण!!

ईश्वर का खेल तमाशा है,
वो खेले घर-घर ,नगर-नगर!! 

लगता है गए ,वो गए नहीं ,
मत रो आंसू नहीं सस्ते है !
पहले वो आँख मे बसते थें ,
अब तो सीने मे बसते हैं !!

हमने  तुमने जो खोया है ,
हमने तुमने जो पाया है !
ना तेरा था ना मेरा था ,
वो सब ईश्वर की माया है!!

तुम बच्चो में  मुस्कान भरो
जो तुममे जीवन भर देगा ,
हर घर में सुख-दुःख हैं आते,
लो पूछ बयां हर घर देगा !!

जब सोओं पहुँचो ईश्वर तक .
जब जागो चल दो कर्म -डगर!!













सोमवार, 7 मार्च 2011

hey eshwar (tanu thadani)

कोई साथ नहीं रोयेगा,
बैठ के जब  रोओगे  दुःख से !
सब रहते है अपनी-अपनी ,
दुनिया में अपने ही सुख से!!

दुनिया एक समुंदर है ओं ,
हम सब इक-इक लहरों पर!
फिर भी सपने पाल रहे हैं ,
आशाओ के पहरों पर!

अपने दुःख  का कारण खुद हो ,
जान-बूझ  कर भी बे-सुध हो !
आखिर खीझ रहे हो क्यों तुम?
बेगाने सपनो के रुख से!!

अगर जीतना है दुःख से तो ,
छिपो नहीं तुम बाहर आओ !
रखो ह्रदय को साफ़ औं बातें ,
भली निकालो अपने मुख से!!
























शनिवार, 5 मार्च 2011

hey eshwar (tanu thadani)

जिस बारिश से दुःख बह जाये ;
जिस अंधर से दुःख उर जाये ,
ऐसी बारिश दो ,अंधर दो!
जिस पेड़ ख़ुशी के फूल खिले ,
ईश्वर हमको ऐसी जर दो!!

मिट्टी के तन मे दिल देना,
तो मोम सा छोटा दिल देना!
हे ईश्वर पेट की ज्वाला को ,
संतुष्टि से ही सिल देना!!

मिट्टी के तन में दिल पत्थर .
ये मानव ले कर घूम रहा!
जिसके कारण खूं से लथपथ ,
उन नोटों को ही चूम रहा!! 

जीने की हरबर में हम सब,
हैं मौत की गारी में बैठे !
जायेगा कुछ भी साथ नहीं,
पर राजा जैसे हम ऐंठे !

जीवन तो राजा जैसा दो,
पर ऐंठ का कोई घर ना हो!
ईश्वर जितना भी जीवन दो,
इक लय सा दो ,ना हरबर दो!! 









शुक्रवार, 4 मार्च 2011

hey eshwar (tanu thadani)

अगर यकीं है  स्वर्ग पर ,
जीना फिर इस तरह,
तुम्हारे लफ्जो से कोई ,
आहत कभी ना हो!

भगवन उसे मिलेगे,
जिसके दिमाग में,
भगवान के आकार की .
चाहत कभी ना हो!

आता है गर क्रोध तो -
कमज़ोरियो से लर!
प्रेमी अगर हो सच्चे ;
तो माँ से प्रेम कर !

ईश्वर को तूने भोग लगाया तो क्या किया?
मूर्खो की तरह सूर्य को दिखाया क्यों दीया??

काबिल हो गरं,
दूसरों को काम दो बन्धु!
अब मंदिरों की घंटी को,
विराम दो बन्धु!!

मंदिर में ना जाना कभी मस्जिद में ना जाना
ईश्वर को ढूढने  को,
माँ के पास ही जाना !
माँ में ही तो रहीम तुम्हे राम मिलेगा ,
माँ के निकट ना कोई ताम-झाम मिलेगा!!

दुनिया की धुर्त्ततायें जब तुम को करे बेहाल,
माँ की ही गोद  में तुम्हे आराम मिलेगा!! 


















गुरुवार, 3 मार्च 2011

tanu thadani hey eshwar बचपन कागज कश्ती पानी

मिटती ही है- मिट  जाएगी,
दौलत -शोहरत और जवानी !
सांस-सांस में छम-छम नाचें,
बचपन-कागज-कश्ती-पानी!!

अपनी आदत में बचपन को ,
जिन्दा रखने वाला ही तो,
सही मायनो में पंडित है ,
सही मायनो में वो ज्ञानी!!

बड़े हुए तो देखोगे तुम,
दुनिया गम से भरी पड़ी!
छल छलके हर आँखों से औ ,
वासनाएं हर नजर खड़ी !!

भर सिन्दूर किसी का नारी ,
किसी के साथ भी सोती है !
छोटे हो या बड़े शहर,
बस यही कहानी होती है !!

अपने-अपने धोखों को,
अपने ढंग से जायज कहते!
न होता दुनियां में ये सब,
दिल से जो बच्चे रहते!!

अपने मन को बचपन की ,
मासूम सी  दुनियां में लाओ !
भोलेपन की लम्बी पगड़ी,
नफरत के सिर पहनाओ !!

इस जीवन को जी लो यूँ की ,
तुमने कही औ मैंने मानी!
लौट के आएगा फिर हममें,
बचपन-कागज-कश्ती-पानी!!





















रविवार, 27 फ़रवरी 2011

क्या जीवन का था लक्ष्य यही?? hey eshwar (tanu thadani)




क्या जीवन का था लक्ष्य यही??
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सब हासिल  हो सब मिल जाए ; 
हर इक जीवन का लक्ष्य  यही!

चुन-चुन कर भरा किये घर को ,
पर्दों, सोफों ,सामानों से,
दिन-दिन भर प्रपंच किये ,
हम सन जाते अपमानो से!

घर भरते-भरते उम्र कटी ,
फिर जायदाद बेटों में बटी,
हमको भी मिला फिर इक कोना, 
जहाँ  खिड़की  थी और थें पर्दे ,
पर्दे के बाहर देखा जब ,
हर ओर ही था सूना-सूना !

अपरिचित थें वो व्यस्त मिले,
जो परिचित थे वो ध्वस्त मिले ,
अब दर्द ही था दूना-दूना,
हर पोर-पोर रिस-रिस पूछे ,
क्या जीवन का था लक्ष्य यही??







बुधवार, 23 फ़रवरी 2011

hey eshwar

दुखी हैं हम सब ,
खुद के कारण ,
खुद के कारण ,
आहत हैं!

करते सत्संग रामायण से ,
आदत से महाभारत हैं !!

पूरी बगिया दी तोर-फोर,
हर कार्य किये सृष्टी -नाशक ,
लकिन फिर भी हम जिन्दा हैं ,
प्यारे एश्वेर की चाहत हैं!!

हमने माना भोजन देता ,
ईश्वर ही सांझ -सवेरे हैं !
फिर भी सुबहो  से रात तलक ,
तेरे- मेरे के फेरे हैं!!

सारे के सारे संसाधन ,
पूरी ही तरह निचोर चुके,
हर इक रिश्तो से दुःख रिसते,
हम भावनाये तक छोड़ चुके!!

हम भूले हे ईश्वर तुमको,
तुम ना भूले ये राहत हैं!!